प्रश्न(1):रेल बजट का आम बजट में विलय


रेल बजट का आम बजट में विलय

रेल बजट का आम बजट में विलय क्यों किया गया ? ऐसा होने से भारत सरकार को कार्यप्रणाली में क्या क्या बदलाव करने होंगे एवं क्या दिशा निर्देश होंगे ?

सर्वप्रथम एक्वर्थ समिति की रिपोर्ट के आधार पर 1924 में रेल बजट को आम बजट से अलग किया गया था | पुनः विवेक देवरॉय समिति की अनुशंषा पर 2016 में रेल बजट को पुनः आम बजट में विलय किया गया, जिसे वित्तीय वर्ष 2017-2018 से लागु किया गया |
भारत सरकार अब भारतीय रेल को वाणिज्यिक रूप से एवं वित्तीय रूप से ओर भी मजबूत ओर सुदृढ़ बनाना चाहती है | इसके लिए बाज़ार से वित्त उपलब्धता की आवश्यकता है क्योंकि हमारे आंतरिक वित्त श्रोतों से पर्याप्त वित्त की आपूर्ति नहीं हो पा रही है | अतः भारत का वित्तीय बजट, रेल के वित्तीय भविष्य में उतार-चढाव के कारण, प्रभावित न हो और भारत को वाणिज्यिक लक्ष्य की प्राप्ति हो सके, इसे ध्यान कर के रेल बजट को आम बजट में विलय किया गया है |

रेल बजट को आम बजट में विलय के कारण भारत सरकार को निम्नलिखित बदलाव किये जाने चाहिए और इसके लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये जाने चाहिए :-
* चुकि वित्तीय वर्ष 2017-2018 से रेल बजट अलग से पेश नहीं किया जा सकेगा इसके लिए Financial Code Vol-I के तीसरे अध्याय विशेषतः पैरा 301,344,345 व 360 की समीक्षा की जानी चाहिए |
* अनुदान के लिए मांग अब एकल बजट में विलय हो जायेंगे जिसके लिए मांग क्रमांक 80 को  प्रयुक्त किया गया है |
* वित्तीय वर्ष 2017-2018 के बाद भारतीय रेल को किसी तरह का डिविडेंड, केंद्रीय सरकार को भुगतान नहीं करना होगा |
* सभी प्रकार के पूंजी व्यय अब अनुदान हो जायेंगे |
* मांग क्रमांक 15 की उपयोगिता अब ख़त्म हो जाएगी |
* भारतीय रेल को केंद्र सरकार से अब किसी प्रकार का क़र्ज़ नहीं लेना होगा|
* भारतीय रेल या क्षेत्रीय रेल के लाभ-हानि खातों में डिविडेंड मद नहीं दिखाई देगा |
* क्षेत्रीय रेल अथवा कारखाना अथवा रेलवे बोर्ड स्तर पर डिविडेंड शीट बनाए जाने की जरुरत नहीं होगी |
* रेलवे बोर्ड अथवा क्षेत्रीय रेलवे स्तर तुलन पत्र में लोन-पूंजी को दिखाने की जरुरत नहीं रहेगी| अब यह पूंजी-मांग के रूप में आम बजट में प्रदर्शित रहेगी |
* ब्लॉक लेखा में आवश्यक बदलाव लाया जायेगा |
* लोन अकाउंट की जरुरत नहीं रहेगी |
* विनियोजन लेखा के साथ डिविडेंड शीट की जरुरत नहीं रहेगी |
* अकाउंट करंट के फॉर्मेट में आवश्यक बदलाव किये जाने चाहिए | शीर्ष 3005-Payment to General Revenue एवं शीर्ष 3007- Repayment loan to GOI को ख़त्म करना होगा |
* कैपिटल एवं राजस्व लेखा में - सब्सिडी व डिविडेंड – पैरा 719 में आवश्यक बदलाव किये जाने चाहिए |
* चुकि डिविडेंड देयता नहीं रहेगी इसलिए IRFC Vol-I के अंतर्गत write back adjustment to capital शीर्ष की समीक्षा की जानी चाहिए ओर आवश्यक बदलाव के आदेश दिए जाने चाहिए |
* अब चुकि भारत सरकार का बजट 1-फरबरी को प्रस्तुत किया जायेगा, अतः रेलवे बोर्ड को जमा किये जाने वाले RE/BE की संकल्पना हेतु वित्त मंत्रालय द्वारा आवश्यक निर्देश जारी किये जाने चाहिए | एवं यदि कोई नई फॉर्मेट हो तो, रेलवे बोर्ड द्वारा, उसे सर्व सम्बंधित को सूचना प्रेषित किया जाना चाहिए |

इस प्रकार रेल बजट का आम बजट में विलय के कारण भारत सरकार को उपर्युक्त तरह के बदलाव किये जाने चाहिए जिससे की भारत सरकार को वाणिज्यिक लक्ष्य की प्राप्ति हो सके |


***********************




      Source : C-TARA-SC published Book

No comments:

Post a Comment