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संक्षिप्त अंतर (Short Difference)
1. आंतरिक जांच और ऑडिट जाँच (Internal Check and Audit Check)
आंतरिक जांच
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ऑडिट जाँच
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यह पूर्व/प्रारम्भिक जाँच है|
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यह पश्च जाँच है |
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यह लेखा विभाग के कर्मचारी द्वारा किया जाता है |
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यह लेखा परीक्षा विभाग के कर्मचारी द्वारा किया जाता है |
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इसे आतंरिक लेखा परीक्षा कहा जाता है |
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इसे बाह्य लेखा परीक्षा कहा जाता है |
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यह लगातार प्रक्रिया है|
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यह सामयिक प्रकिया है |
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जांच में पाई गई अनियमितता हेतु सम्बंधित कार्यालय द्वारा जबाब दिया जाता है
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जांच में पाई गई अनियमितता हेतु ऑडिट रिपोर्ट, पार्ट-I व पार्ट-II बनाया जाता है |
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2. बिलम्ब शुल्क और स्थान शुल्क (Demurrage Charges and Wharfage Charges)
बिलम्ब शुल्क
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स्थान शुल्क
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बिलम्ब शुल्क का अभिप्राय उस प्रभार से है जो पार्टी द्वारा माल के लदान व
उतराई के लिए निर्धारित निःशुल्क अवधि के बाद माल को रेलवे परिसर में रोके रखने
के लिए रेल प्रशासन द्वारा वसूल किया जाता है |
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स्थान शुल्क का अभिप्राय उस प्रभार से है जो पार्टी से वैसे परेषनो के लिए वसूल
किया जाता है जो रेलवे परिसर में लाये गए हों ओर निर्धारित अनुमत समय में सुपुर्दगी के लिए
उपलब्ध हो परन्तु उस अनुमत समय में उसकी सुपुर्दगी नहीं ले गई हो |
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IRCM Vol-I Para-103(12)
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3. फ़ीस और मानदेय (Fee and Honorarium)
फ़ीस
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मानदेय
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रेलवे कर्मचारी को भारत की समेकित निधि के अलावे अन्य श्रोतों
से होने वाली आवर्ती एवं अनावर्ती भुगतान, जिसमे गैर-अर्जित आमदनी
(लाभांश/ब्याज) एवं साहित्यिक/ सांस्कृतिक आमदनी का
भुगतान शामिल नहीं है , फ़ीस कहलाता है |
जैसे :
कांट्रेक्टर से पत्राचार, क़ानूनी सलाह हेतु ली जाने वाली भुगतान की राशि|
कर्मचारी को भुगतान की जाने वाली
CEA/tution fee की राशि |
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रेलवे कर्मचारी को भारत की समेकित निधि से किसी विशेष
कार्य के लिए दिया जाने वाला आवर्ती भुगतान, मानदेय कहलाता है |
दुसरे शब्दों में, मानदेय एक स्वैच्छिक भुगतान है जो किसी व्यक्ति को सेवाओं
के लिए दिया जाता है जिसके लिए कानूनी या पारंपरिक रूप से शुल्क की आवश्यकता
नहीं होती है |
जैसे :
CTI’s में प्रोबेशनर्स के क्लास हेतु दिया जाने वाला भुगतान|
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4. रेट कॉन्ट्रैक्ट और रनिंग कॉन्ट्रैक्ट (Rate Contract and Running Contract)
रेट कॉन्ट्रैक्ट
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रनिंग कॉन्ट्रैक्ट
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जिस कॉन्ट्रैक्ट के अंतर्गत ठेकेदार, मांग पर चाहे जितनी
भी मांग हो , निर्धारित अवधि में निर्धारित दर पर माल की सप्लाई करता है, रेट कॉन्ट्रैक्ट कहलाता है |
यह शूद्ध रूप से दर समझौता है
जिसमे सप्लायर पर स्टॉक के कुछ बंधन होते हैं |
|
जिस कॉन्ट्रैक्ट के अंतर्गत ठेकेदार, आदेश प्राप्त होने
पर , विनिर्दिस्ट मांग को निर्धारित अवधि में निर्धारित दर पर माल की सप्लाई
करता है, रनिंग कॉन्ट्रैक्ट कहलाता है |
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5. चल अधिशेष और अचल अधिशेष ( )
चल अधिशेष
|
अचल अधिशेष
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वैसे भंडार अधिशेष जिसमे भंडार
के उन मदों को शामिल किया जाता है जिसका निर्गम 24 माह की अवधि से जारी नहीं किया
गया है परन्तु भविष्य में इन मदों के प्रयोजन किये जाने की संभावना है, चल अधिशेष कहलातें हैं |
|
वैसे भंडार अधिशेष जिसमे भंडार
के उन मदों को शामिल किया जाता है जिसका निर्गम 24 माह की अवधि से जारी नहीं
किया गया है परन्तु अगले दो वर्षों में इन मदों के किसी भी रेलवे में प्रयोजन
किये जाने की संभावना भी नहीं है, अचल अधिशेष कहलातें हैं |
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6. सरकारी लेखा और वाणिज्यिक लेखा (Government A/C and Commercial A/C)
सरकारी लेखा
|
वाणिज्यिक लेखा
|
यह इकहरी प्रविष्टि प्रणाली पर
आधारित है |
|
यह दोहरी प्रविष्टि प्रणाली पर
आधारित है |
|
इसमें आय ओर व्यय के आंकड़ों का उल्लेख रहता है |
|
इसमें प्राप्ति और भुगतान के आंकड़ों का उल्लेख रहता है |
|
इसमें आय व्यय का लेखा तैयार किया जाता है |
|
इसमें ट्रेडिंग लेखा, लाभ ओर हानि लेखा एवं तुलन पत्र तैयार किये जाते हैं |
|
यह लेखा रोकड़ लेन-देन पर आधारित है|
|
यह लेखा जमा लेन-देन पर आधारित है|
|
यह लेखा संविधान के आधार पर संचालित और संसद समिति के
निर्देश पर आधारित है |
|
यह लेखा सांविधिक लेखा एवं प्रैक्टिस के आधार पर संचालित
है |
|
इसे टेक्निकली वित्त लेखा के नाम से जाना जाता है |
|
इसे टेक्निकली पूंजी व राजस्व लेखा के नाम से जाना जाता
है |
|
मुख्य आवश्यकता : समस्त आय व व्यय का क्रमबद्ध उपयुक्त
शीर्ष के अंतर्गत अभिलेख|
|
मुख्य आवश्यकता : पूंजी का प्रयोग कैसे किया गया, डेबिट
-क्रेडिट की क्या स्थिति है, वित्तीय स्थिति सुदृढ़ है या नहीं आदि की जानकारी |
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Account Code Vol-I Para-201
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7. सामान्य पुस्तक और सहायक पुस्तक (General Book and Subsidiary Book)
सामान्य पुस्तक
|
सहायक पुस्तक
|
किसी एक लेखा क्षेत्र के लेन-देन
को इकठ्ठा करने के लिए और उन्हें खाते में लाने के लिए विभिन्न प्रकार के
पुस्तकों का प्रतिपादन किया जाता है| इन पुस्तकों को रेलवे की सामान्य पुस्तक
कहा जाता है |
|
सामान्य पुस्तकों के अलावे, लेन-देन का विस्तृत ब्यौरा दिखाने हेतु रेलवे में जो
पुस्तकें प्रयुक्त की जाती है उन्हें सहायक पुस्तक कहा जाता है |
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इनका उद्देश्य मासिक व वार्षिक रेल विवरण तैयार करना है|
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इसका उद्देश विभिन्न लेखा शीर्षों का विस्तृत वर्गीकरण के
अंतर्गत विधिवत विश्लेषण करना है|
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जैसे : सामान्य कैश बुक, जनरल, लेजर, सामान्य कैश सार
बही
|
जैसे : कार्य रजिस्टर, RAR, उच्चंत रजिस्टर, आय रजिस्टर ,
खरीद रजिस्टर, सेल्स
रजिस्टर
|
इससे अकाउंट करंट बनता है |
|
इससे अकाउंट करंट का सिड्यूल बनता है |
|
यह किसी लेखा यूनिट के लेन-देन का सारांशित विवरण है |
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यह किसी लेखा यूनिट के लेन-देन का विस्तृत विवरण है |
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यह सरकारी लेखा पर आधारित है |
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यह वाणिज्यिक लेखा पर आधारित है |
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8. बिक्री उच्चंत और यातायात उच्चंत (Sales Suspense and Traffic Suspense)
बिक्री उच्चंत
|
यातायात उच्चंत
|
यह एक पूंजी उच्चंत शीर्ष है |
|
यह एक राजस्व उच्चंत शीर्ष है |
|
यह पूंजी व्यय के अंतर्गत प्लान शीर्ष 7100 के अंतर्गत संचालित
किया जाता है |
|
यह राजस्व प्राप्ति के उपरांत संचालन किया जाता है |
|
यह डेबिट शेष (-Dr) की तरह दिखाया जाता है |
|
यह हमेशा डेबिट शेष होता है |
|
यह कोई लिंक शीर्ष नहीं है |
|
यह सरकारी लेखा को वाणिज्यिक लेखा से जोडने का लिंक शीर्ष है |
|
क्रेडिट : जब बिक्री आय
जमा / प्राप्त हो।
डेबिट : जब बिक्री इशू नोट का लेखा किया जाता है |
|
डेबिट: उपार्जित आय |
क्रेडिट: उपार्जित आय की
प्राप्ति |
|
उद्देश: नीलामी ब्रिकी
के बिक्री आय की प्राप्ति पर देख-रेख हेतु |
|
उद्देश: उपार्जित /
बकाया आय की प्राप्ति पर निगरानी हेतु |
|
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9.
मतदान व्यय और शुल्क व्यय (Voted
expenditure & Charged expenditure)
मतदान व्यय
|
आरोपित (चार्जड) व्यय)
|
भारत की समेकित निधि से पूरा
किये जाने वाले प्रस्तावित व्यय |
|
भारत की संचित निधि से पूरा किये
जाने वाले प्रस्तावित व्यय |
|
ऐसे व्यय के लिए संसद की मंजूरी
आवश्यक है |
|
ऐसे व्यय के लिए राष्ट्रपति की संस्तुति
आवश्यक है |
|
भारत के
संविधान का अनुच्छेद 112 में परिभाषित|
|
भारत के
संविधान का अनुच्छेद 113 में परिभाषित|
|
इसे अनुदान की मांग के रूप में संसद में प्रस्तुत किया
जाता है |
जैसे : मान क्रमांक 01 से 13 |
|
जैसे :
भारत के CAG
के संबंध में भत्ते और पेंशन देयता। न्यायालय के
आदेश, हुक्मनामा को पूरा करने
हेतु आवश्यक खर्च| कानून द्वारा संसद या संसद द्वारा घोषित कोई
अन्य व्यय, ताकि आरोपित व्यय में
लिया गया हो।
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Finance Code Vol-I Para-302
|
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1 10. लीज और लाइसेंस (Lease and License)
लीज (पट्टा)
|
लाइसेंस
|
यह निर्दिष्ट किराये / पट्टे के भुगतान के बदले में परिसंपत्ति के उपयोग के
लिए लेसी (उपयोगकर्ता) और ऋणदाता (मालिक) के बीच एक समझौता है।
|
लाइसेंसर द्वारा वादे पर लाइसेंसधारी पर मुकदमा न चलाने का वचन है| इसका
मतलब, किसी तीसरे पक्ष
द्वारा बौद्धिक संपदा के किसी भी उपयोग या शोषण, की नकल या उल्लंघन के नियम होंगे।
|
पार्टी: ऋणदाता (मालिक)
और पट्टेदार (उपयोगकर्ता)
|
लाइसेंसकर्ता
(जिसने अनुमति दी थी) और लाइसेंसधारी (जिसकी अनुमति दी गई है)|
|
जब तक अन्यथा
निर्दिष्ट न हो, समझौते के पूरा
होने से पहले साधन रद्द नहीं किया जा सकता है।
|
यह लाइसेंसकर्ता
की इच्छा पर समझौते के पूरा होने से पहले रद्द कर दिया जाता है।
|
यह अखंडनीय है |
|
यह खंडनीय है |
|
इस विचार को लीज रेंटल कहा जाता है |
|
इस विचार को फी कहा जाता है |
|
यह हस्तांतरणीय
है।
|
यह अहस्तांतरणीय
है।
|
इसे केवल
समझौते की शर्तों के अनुसार समाप्त किया जा सकता है।
|
लाइसेंसर
द्वारा किसी भी समय वापस / समाप्त किया जा सकता है।
|
संपत्ति में
किए गए किसी भी सुधार का हकदार पट्टेदार होता है।
|
संपत्ति में
किसी भी सुधार के लिए लाइसेंसधारी को कोई अधिकार नहीं होता है।
|
इसे संपत्ति
अधिनियम 1882 के हस्तांतरण की धारा 105 में परिभाषित किया गया है|
|
इसे भारतीय
सरलीकरण अधिनियम 1882 की धारा 52 में परिभाषित किया गया है|
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11. प्रोत्साहन योजना CLW पद्धति और RITES पद्धति (CLW Pattern and RITES Pattern)
CLW पद्धति
|
RITES पद्धति
|
एकल व्यक्ति पर आधारित |
|
कर्मचारी समूह पर आधारित |
|
बचाए गए समय पर आधारित|
|
उत्पादन/आउटटर्न पर आधारित |
|
समयोपरि भत्ता स्वीकृत है |
|
समयोपरि भत्ता अस्वीकृत है |
|
गुणवत्ता
कारकों (Quality Factor) पर ध्यान नहीं दिया जाता है|
|
गुणवत्ता
कारकों (Quality Factor) पर ध्यान दिया जाता है|
|
विभिन्न प्रकार
के कार्यों के लिए कोई समान कारक(Equalising Factor) नहीं है|
|
विभिन्न प्रकार
के कार्यों के लिए समान कारक(Equalising Factor) की व्यवस्था है|
|
एक से अधिक
कारणों से निष्क्रिय समय बुक किया जा सकता है|
जैसे उपकरण/
सामग्री की अनुपलब्धता, मशीन का टूटना, बिजली कटौती, काम की प्रतीक्षा करना आदि।
|
एक घंटे से अधिक बिजली कटौती को छोड़कर निष्क्रिय समय की अनुमति नहीं है।
|
अधिकतम प्रोत्साहन
- किसी व्यक्ति द्वारा लिया गया 50% समय
|
अधिकतम प्रोत्साहन- अतिरिक्त आउटटर्न / आउटपुट (जैसे ईजीएससीएन कोचों के
पीओएच) का अधिकतम प्रतिशत जो प्रोत्साहन योग्य आय के लिए योग्य हो सकता है, वह 50% है। (उदाहरण: यदि कार्यशाला की क्षमता 100 डिब्बों की POH है, तो अधिकतम प्रोत्साहन 100 कोचों की क्षमता से
अधिक और 50 अतिरिक्त कोचों के लिए लागू है)
|
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**********
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12. Demand Recoverable (D.R.) and Bills Recoverable (B.R.)
Demand Recoverable
|
Bills Recoverable
|
शुरुआत: 01.04.1988
|
शुरुआत: रेलवे लेखा के शुरुआत से
|
|
यह विविध आय (Sundry Earning) का एक भाग है|
|
यह विविध आय (Sundry Earning) का भाग नहीं है|
|
यह सरकारी लेखा को वाणिज्यिक लेखा से जोडने का लिंक शीर्ष है |
|
यह किसी प्रकार का लिंक शीर्ष नहीं है |
|
इसके क्लीयरेंस
से यातायात उच्चंत को कम किया जाता है |
|
इसके क्लीयरेंस
से राजस्व मांग को कम किया जाता है |
|
इससे रेलवे की
संचालन दक्षता में सुधार किया जाता है|
|
इससे रेलवे की संचालन व्यय में सुधार किया जाता है|
|
इसके बकाया रकम
के लिए दुसरे रेलवे को डेबिट रेज किया जाता है |
लेखांकन :
D.R.
Dr
Abs Z
Cr
जमा की रिसीप्ट
प्राप्ति पर ,
Cash A/C (RIB) Dr
D.R.
Cr
|
इसके बकाया रकम
के लिए रेलवे द्वारा बिल पास किया जाता
है |
लेखांकन :
राजस्व मांग Dr
C&B
Cr
जमा की रिसीप्ट
प्राप्ति पर ,
Cash A/C (RIB) Dr
राजस्व मांग -Dr
|
इसमें अंतिम
शेष होता है जो un-realized amount को प्रदर्शित करता है |
|
इसमें कोई
अंतिम शेष नहीं होता है |
|
जैसे: भवन भाडा
व किराया, इंजी. व वाणिज्य प्लाट हेतु भूमि भाडा व किराया, ROB FOB व गेट का मरम्मत
चार्ज, साइडिंग मरम्मत व अनुरक्षण एवं व्याज की राशि आदि|
|
जैसे: पानी बिल,
बिजली बिल, वैगन मरम्मत बिल, साइडिंग पर नियुक्त वाणिज्यिक कर्मचारी के
लिए लागत आदि|
|
13. रिज़र्व बैंक उचंत और रिज़र्व बैंक डिपाजिट (RBS and RBD)
रिज़र्व बैंक उचंत
|
रिज़र्व बैंक डिपाजिट
|
इसे केवल इनवार्ड लेनदेन के लिए संचालित किया जाता है |
|
इसे इनवार्ड ओर आउटवर्ड दोनों लेनदेन के लिए संचालित किया जाता है |
|
रेलवे की लेखा पद्धति में इसे उच्चंत
शीर्ष में रखा जाता है |
|
रेलवे की लेखा पद्धति में इसे अंतिम
शीर्ष में रखा जाता है |
|
इसका प्रचालन दुसरे लेखा विभाग से आवक लेनदेन के लिए किया
जाता है |
जैसे: डिफेन्स विभाग, P&T विभाग आदि|
|
इसका प्रचालन लेन-देन के समायोजन के लिए किया जाता है|
जैसे: C&B and RIB का क्लीयरेंस, वित्त सलाहकार द्वारा दुसरे विभाग
के लेन-देन के लिए किया गया समायोजन आदि|
|
क्लीयरेंस: इस शीर्ष के तहत आने वाले सभी आइटम साल के
अंत में समायोजित हो जाने चाहिए। यदि
किसी कारण से कुछ राशि शेष रह जाती है, तो उसे MAR (डेबिट बैलेंस) या डिपॉजिट मेन्स (क्रेडिट बैलेंस) में
स्थानांतरित कर दिया जाता है।
|
क्लीयरेंस: इस शीर्ष के तहत आने वाले सभी शेष साल के अंत
में अर्थात ३१ मार्च को सरकार के खाते में समायोजित किये जाने चाहिए।
|
लेखांकन:
-दुसरे विभाग
के लेखा अधिकारी से प्राप्त डेबिट के बाद
राजस्व मांग Dr xx
To RBS
Cr xx
-RBI से क्लीयरेंस मेमो आने के बाद
RBS Dr xx
To RBD
Cr xx
|
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14. सकल प्राप्ति (Gross Receipt) and सकल आय (Gross Earning)
Gross Receipt
|
Gross Earning
|
इसका आधार वास्तविक प्राप्ति से
है |
|
इसका आधार उपार्जित आय से है |
|
वैसी प्राप्ति है जिसे वास्तव में लेखा अवधि के दौरान (वित्तीय वर्ष के
दौरान) realized किया जाता है चाहे उसका सम्बन्ध पिछले
वर्ष या अगले वर्ष से हो|
|
वैसा आय जिसे लेखा अवधि के दौरान (वित्तीय वर्ष के दौरान) उपार्जित की गई हो, भले ही वास्तव में realized हुआ हो या नहीं|
|
सकल प्राप्ति=
सकल आय+यातायात उच्चंत
|
सकल आय=
(कोचिंग+माल+विविध)
आय – धनवापसी
|
यह सरकारी लेखा
को दर्शाता है |
|
यह वाणिज्यिक
लेखा को दर्शाता है |
|
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15. Miscellaneous Advance Revenue(MAR) and Deposit Miscellaneous
Miscellaneous Advance Revenue
|
Deposit Miscellaneous
|
यह मेजर हेड 3002-भारतीय रेलवे वाणिज्यिक लाइनें, के तहत एक उच्चंत शीर्ष है।
|
यह मेजर हेड 8445-भारतीय रेलवे डिपॉजिट्स, के तहत एक उच्चंत शीर्ष है।
|
यह उन सभी लेनदेन के रिकॉर्ड को दर्ज करता है, जिन्हें सीधे अंतिम
शीर्ष को आवंटन नहीं किया जा सकता है|
जैसे : वर्ष की समाप्ति पर -
अंतर-विभागीय लेन-देन जिनकी स्वीकृति वांछित है, रिज़र्व बैंक सस्पेंस (आरबीएस) में डेबिट शेष, सही एलोकेशन की जरुरत/प्रतीक्षा
आदि |
|
इसके अंतर्गत सभी प्रकार की क्रेडिट का रिकॉर्ड रखा जाता है, जिसका भुगतान
बकाया है|
जैसे : सिक्योरिटी डिपॉजिट, ईएमडी, कोर्ट अटैचमेंट रिकवरी, संबंधित व्यक्तियों
द्वारा दी गई डिपॉजिट वर्क्स की राशि आदि ।
|
ये हमेशा डेबिट शेष होता है |
|
यह हनेशा क्रेडिट शेष होता है |
|
इस शीर्ष के अंतर्गत
कोई भी क्रेडिट मद नहीं होने चाहिए|
|
इस शीर्ष के
अंतर्गत कोई भी डेबिट मद नहीं होने चाहिए|
|
इस हेड को सीधे
तौर पर क्रेडिट तब तक बुक नहीं किया जा सकता है, जब तक कि वहां पहले से उसका
डेबिट मौजूद न हो।
|
इस हेड को सीधे
तौर पर डेबिट तब तक बुक नहीं किया जा सकता है, जब तक कि वहां पहले से उसका
क्रेडिट मौजूद न हो।
|
**********
16. वापस लिखना (Write back) ओर बट्टे खाते डालना (Write-Off)
वापस लिखना
|
बट्टे खाते डालना
|
इसका अभिप्राय गलत आवंटन के
नियमितीकरण/सुधारने से है|
इसमें सही लेखा शीर्ष को Dr/Cr किया जाता है जबकि गलत लेखा
शीर्ष को -Dr/-Cr किया जाता है|
इसके अंतर्गत मूल लेन-देन को उल्टा किया जाता है |
ये किसी खाश
कारण से किया जाता है|
|
इसका अभिप्राय, नियमित खातों में
शामिल होने के बाद, एक राशि के लिए किसी कारण से रेलवे प्रशासन अपने दावे के
अधिकार को त्याग देने से है|
यह एक bad debt से है|
यह लेखा किताब में डेबिट शेष होता है जिसका भविष्य में
वसूल हो पाना संभव नहीं है |
इसे सक्षम अधिकारी द्वारा दिए गए आदेश के आधार पर ख़त्म
किया जाता है|
जैसे : कैश की
कमी, चोरी किये गए माल आदि|
|
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17.
पूंजी (Capital) and पूंजी फंड (Capital Fund)
पूंजी
|
पूंजी फंड
|
यह बाह्य स्रोत है जिसे वित्त मंत्रालय द्वारा दिया जाता है|
|
यह आंतरिक स्रोत है जिसे लाभांश, डीएफ, आरएसएफ को विनियोजित
करने के बाद उपलब्ध अधिशेष से अर्जित किया जाता है|
|
इस पर डिविडेंड/लाभांश भुगतान
करने का प्रयोजन है |
|
चुकि यह रेलवे के
सभी दायित्वों को पूरा करने के बाद एक अधिशेष है, इसलिए लाभांश का भुगतान करने
की आवश्यकता नहीं है|
|
इसके अंतर्गत किसी तरह का व्याज नही दिया जाता है |
|
वित्त वर्ष के
अंत में फंड के अधिशेष पर ब्याज को कैपिटल फंड में जमा किया जाता है। (RCC द्वारा अनुशंसित ब्याज दर पर)
|
पूंजी के आवंटन
के नियम Finance Code Vol-I chapter-V में वर्णित है|
ये है : पहले निर्माण
की लागत, भूमि , क्वार्टर के निर्माण की लागत |
|
इसके लिए कोई
विशेष नियम नहीं है | हालांकि चालू वर्षों में, कैपिटल फंड का उपयोग
प्लान हेड 2200 - आईआरएफसी के लिए देय लीज चार्ज के प्रमुख घटक के लिए किया जाता
है|
|
**********
18. IRCA and IRFA
IRCA
|
IRFA
|
पूर्ण नाम: इंडियन रेलवे कन्फेरेंस एशोसियेशन|
|
पूर्ण नाम: इंडियन रेलवे फाइनेंसियल एडजस्टमेंट|
|
आवंटन: 09G-740-33
|
आवंटन: 09G-750-33
|
इसके अंतर्गत माल यातायात से सम्बंधित वैगन के लिए डेबिट
रेज किया जाता है |
|
इसके अंतर्गत लोको एवं सवारी डब्बों से सम्बंधित लेन-देन
के लिए डेबिट रेज किया जाता है |
|
इसके अंतर्गत
डेबिट रेज करने की जिम्मेदारी उत्तर रेलवे (NR) की होती है|
|
इसके अंतर्गत
डेबिट रेज करने की जिम्मेदारी रेलवे मुख्यालय की होती है|
|
इसमें उत्तर
रेलवे (NR) द्वारा अन्य रेल
मुख्यालय को डेबिट रेज किया जाता है|
|
इसमें रेलवे
मुख्यालय द्वारा अन्य रेल मुख्यालय को डेबिट रेज किया जाता है|
|
इसके अंतर्गत,
- भारतीय रेलवे
के अंतर प्रभारित स्टॉक (माल वैगन) के मरम्मत, रखरखाव व मूल्यह्रास से संबंधित शुल्क / प्राप्तियां
- विदेशी/अन्य
रेलवे के साथ सभी रोलिंग स्टॉक के अंतर-परिवर्तन से संबंधित प्रभार,
को शामिल किया जाता
है|
|
इसके अंतर्गत,
- एक रेलवे के
रोलिंग स्टॉक (माल वैगनों के अलावा, लोको और कोच) का अन्य
रेलवे के द्वारा उपयोग करने से उसके मरम्मत, रखरखाव व मूल्यह्रास से संबंधित शुल्क / प्राप्तियां का
रेलवे के बीच समायोजन किया जाता है|
|
गणना के लिए
आधार:
वैगन बैलेंस,
जोनल रेलवे के स्वामित्व और वैगनों की वास्तविक होल्डिंग के बीच का शुद्ध अंतर
है।
किसी विशेष दिन, यदि किसी रेलवे के पास, अपने मालिकाना हक़ के वैगन से कम संख्या में वैगन
हैं, तो वह रेलवे शेष वैगन के ऊपर प्रभार वसूलने का अधिकारी
होता है|
इसके विपरीत किसी
विशेष दिन, यदि किसी रेलवे के पास, मालिकाना हक़ के वैगन
से अधिक संख्या में वैगन हैं,
तो वह रेलवे अधिक वैगन
के ऊपर प्रभार भुगतान करने का अधिकारी होता है |
|
गणना के लिए
आधार:
लोको: उपयोगकर्ता
रेलवे के द्वारा इंजन के उपयोग दे द्वारा इंजन द्वारा अर्जित वैगन टर्न-राउंड के
से प्राप्त इंजन घंटें के अनुसार प्राप्त इकाई लागत के आधार पर, मालिक रेलवे
द्वारा डेबिट रेज किया जाता है|
कोच: रेलवे
द्वारा डेबिट/क्रेडिट का समायोजन निम्न आधार पर किया जाना चाहिए|
- एक से अधिक
रेलवे सिस्टम पर चलने वाले रेक / यात्री डिब्बों के माध्यम से अर्जित किलोमीटर
के आधार पर |
- थ्रू कोचेज
के लिए वर्किंग समय सारणी एवं रेक लिंक
के आधार पर वाहन किलोमीटर की गणना के आधार पर |
|
**********
19. सुरक्षा जमा (Security Deposit) and निष्पादन गारंटी (Performance Guarantee)
Security Deposit (SD)
|
Performance Guarantee (PG)
|
इसे ठेकेदार द्वारा ठेके के अनुबंध को उचित तरह से पूर्ति के लिए एक टोकन के
रूप में लिया जाता है|
|
इसे ठेकेदार द्वारा सफलता पूर्वक
कार्य के निष्पादन हेतु रेलवे के हित के लिए लिया जाने वाला टोकन है |
|
इसे ठेके के
मूल्य के 5% के बराबर ही जमानत के रूप में लिया जाता है|
|
इसको ठेके की कीमत
के 5% के बराबर बैंक गारंटी के रूप में वसूल किया जाता है|
|
इसे ठेकेदार
द्वारा निविदा मंजूर होने एवं काम शुरू करने से पहले जमा किया जाता है |
|
इसे, सफल निविदाकर्ता के द्वारा LOA जारी करने के, 60 दिनों के भीतर जमा किया जाना चाहिए|
LOA से 30 दिनों के भीतर जमा करने पर - कोई ब्याज नहीं
LOA से 31 से 60 दिन तक - दंड ब्याज 15% प्रति
वर्ष|
|
सफल निविदाकर्ता की ईएमडी को SD के रूप में भी लिया जाता है और
शेष राशि ठेके के मूल्य से 10% की दर से वसूली जाती है, जब तक कि पूर्ण सुरक्षा जमा राशि वसूल नहीं हो जाती|
|
इसको नकद, अपरिवर्तनीय
बैंक गारंटी, सरकारी प्रतिभूतियां, राष्ट्रीयकृत बैंकों के
डीडी, डाकघर बचत जमा, एनएससी के रूप में प्रस्तुत किया जाता है|
|
शेष सिक्योरिटी
डिपॉजिट केवल ठेके के रनिंग बिलों से वसूल किया जाएगा|
|
LOA जारी करने की तारीख से 60 दिनों के बाद भी
अपेक्षित PG प्रस्तुत करने में
विफल होने पर अनुबंध को समाप्त किया जाता है ओर अन्य कोई देय व ईएमडी विधिवत रूप
से जब्त कर लिया जाता है | एवं असफल ठेकेदार को उस कार्य के लिए पुनः निविदा में
भाग लेने से वंचित किया जाता है|
|
इसे निम्न
बातों के बाद वापस किया जाता है -
- कार्य का
पुर्णतः समापन और रखरखाव की अवधि के बाद।
- फाइनल बिल
पास होने के बाद|
- ठेकेदार से
नो क्लेम प्रमाण पत्र प्राप्त होने के बाद|
- कार्यकारी से
ठेकेदार के खिलाफ नो ड्यूज प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद|
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कार्य के सफलता पूर्वक समाप्ति के उपरांत इसे तुरत वापस
कर दिया जाता है|
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20. बर्बाद संम्पति (Wasting Assets) ओर काल्पनिक संम्पति (Fictitious Assets)
बर्बाद संम्पति
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काल्पनिक संम्पति
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वैसी संपत्ति जो व्यापार में प्रयोग होने वाली राशि के ह्रास के लिए जिम्मेदार होती है ,
उसे बर्बाद संपत्ति कहा जाता है |
दुसरे शब्दों में इसका सम्बन्ध
ऐसी संम्पति से है जिसमे समय के साथ साथ कमी होते जाती है |
जैसे : Plant & Mechinery , कॉन्ट्रैक्ट्स, एक तेल कुआं या
कोयला खदान आदि|
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वैसी संपत्ति जिसे मूर्त अधिकार अथवा मूर्त संपत्ति से द्वारा नहीं
दर्शाया जाता है, उसे काल्पनिक संम्पति कहा जाता है|
जैसे : प्रारंभिक व्यय, लाभ-हानि खाता का प्री-पेड डेबिट शेष, गुडविल, व्यवसाय के व्यक्तिगत खर्च, शेयर जारी करने के डी गई छुट आदि|
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ऐसी संपत्ति का भौतिक अस्तित्व होता है|
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ऐसी संपत्ति का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं होता है|
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ऐसी संपत्ति का वास्तविक मूल्य होता है।
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ऐसी संपत्ति का कोई वास्तविक मूल्य नहीं होता है।
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21. बजट आवंटन और बजट आदेश
(Budget Distribution and Budget Order)
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बजट आवंटन
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बजट आदेश
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संसद द्वारा बजट की स्वीकृति
होने के बाद एवं राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृत charged expense का आदेश मिलने के बाद रेल मंत्रालय द्वारा अपने अधीन दुसरे प्राधिकरणों को
तुरंत बजट वितरित किया जाता है| इस प्रकार वितरित की गई रकम बजट
आवंटन कहलाता है |
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बजट आवंटन राष्ट्रपति के जिस लिखित
आदेश के तहत किया जाता है, उसे बजट आदेश कहा जाता है|
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Thanks
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